पाचन की प्रक्रिया में कुछ यांत्रिक क्रियाएँ होती है, जिनके फलस्वरूप भोजन चबाने, निगलने एवं पीसने की क्रियाएँ होती है, जिससे जटिल कार्बनिक पदार्थों जैसे- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा को सरल अणुओं में तोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया एंजाइम की मौजूदगी में होती है। इस प्रक्रिया में जल का अपघटन होता है। शरीर इन सभी पदार्थों को अवशोषित कर शरीर के विभिन्न अवयवो को विकसित कर देता है है। आहार-नाल में भोजन को शरीर में इस प्रकार खपने योग्य दशा में बदलने की प्रक्रिया को ही पाचन-क्रिया कहते है।
भोजन के पाचन की सम्पूर्ण प्रक्रिया पाँच प्रावस्थाओं में होती है-
- अंतर्ग्रहण (Ingestion) : भोजन को मुख-गुहा में ले जाना अंतर्ग्रहण कहलाता है। यह प्रक्रिया मानव को भूख लगाने के कारण होती है। भूख भोजन की शरीर में कमी पड़ने पर लगती है।
- पाचन (Digestion) : भोजन की पाचन-क्रिया मुख से ही शुरू हो जाती है। भोजन के मुख में पहुँचने पर दाँतों द्वारा चबाया जाता है। साथ ही, लार ग्रंथियों द्वारा लार का स्राव होता है। हमारी मुख गुहिका में तीन जोड़ी लार ग्रंथियाँ अपनी-अपनी वाहिनियों द्वारा लार निकालने का काम करती है। इन तीन में से एक जोड़ी ग्रंथियाँ कानों के पास होती है तथा दो जोड़ी जीभ के नीचे स्थित होती है। मनुष्य में लगभग 1.5 लीटर लार प्रतिदिन निकलता है। लार में दो प्रकार के एंजाइम होते हैं- टायलिन (एमाइलेज) एवं माल्टेज। टायलिन भोजन में मौजूद मंड शर्करा को माल्टोज शर्करा में बदल देता है। लार में मौजूद माल्टेज एंजाइम माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में विघटित कर देता है। लार में मौजूद लाइसोजाइम एंजाइम भोजन में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कर देता है। इस प्रकार भोजन का कुछ भाग मुछ में ही पच जाता है। आमाशय (Stomach) में अनेक छोटी-छोटी ग्रंथियाँ रहती है। जिससे अनेक प्रकार की तीव्र अम्लीय रस निकलता है, जैसे- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, रेनिन, पेप्सिन, लाइपेज और एमाइलेज पित्त रस इत्यादि। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन को सड़ने से बचाता है। आमाशय में एंजाइम की मात्रा बहुत कम होती हाओ। अमाशय में भोजन चार घंटे रहते हैं।
- अवशोषण ( Absorption) : भोजन का अवशोषण छोटी आंत में होता है। इस आंत में पाचन होने के बाद भी भोजन शरीर का भाग उस समय तक नहीं बन सकता जब तक यह आहार-नाल की दीवारों में शोषित होकर रुधिर परिसंचरण द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में न पहुँच जाये। पचे हुए भोजन का रुधिर में पहुँचना ही अवशोषण कहलाता है।
- स्वांगीकरण (Assimilation) : अवशोषित भोजन को शरीर द्वारा उपयोग में लाया जाना स्वांगीकरण कहलाता है। अमीनो अम्ल कोशिकाओं में पहुँचकर प्रोटीन संश्लेषण में प्रयुक्त होते है, जिसके फलस्वरूप नया जीव-द्रव्य (Protoplasma) बनता है। यकृत में पहुँचकर जरूरत से अधिक अमीनो अम्ल अमोनिया विखंडित हो जाते हैं।
- मल परित्याग (Defaecation) : अनपचा भोजन बड़ी आंत में पहुँचता है जहां जीवाणु इसे मल में बदल देते हैं। बड़ी आंत में मल का अवशोषण नहीं होता है, बल्कि यह कोलन के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
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