- इन्डोल एवं स्कैटोल नामक अमीनो अम्ल के कारण मल में दुर्गंध आती है।
- पाचक नाल का विस्तार मुख से मलद्वार तक होता है।
- मनुष्य के मुख में तीन जोड़ी लार ग्रंथियाँ पायी जाती है।
- दाँतों के अध्ययन संबंधी विज्ञान को ओडोंटोलॉजी कहा जाता है।
- दाँतों का निर्माण तीन दंत धातु से संयोग से होता है- (i) डेंटाइन (ii) इनामेल (iii) पल्प
- आमाशय की दीवार में अनेक जठर ग्रंथियाँ पायी जाती है, जिनसे जठर रस स्रावित होता है।
- मनुष्य के सम्पूर्ण आंत का सर्वाधिक बड़ा भाग छोटी आंत का होता है। लीवर व अग्न्याशयी रस छोटी आंत के ग्रहणी में ही मिलते है। पचे हुए भोजन का अवशोषण भी छोटी आंत द्वारा होता है।
- बड़ी आंत में अनपचा भोजन पहुँचता है, जहाँ जीवाणु इसे मल के रूप में बदल देते हैं।
- यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है जो उदार-गुहा के ऊपरी भाग में दाहिनी ओर स्थित होता है।
- इसके निचले भाग में एक छोटी थैली होती है जिसे पित्ताशय कहा जाता है।
- यकृत द्वारा स्रावित पित्त पित्ताशय में ही संचित होता है।
- यकृत, कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के उपापचय में सक्रिय भाग लेता है।
- शरीर में उत्पन्न जीवविषों (Toxins) को प्रभावित यकृत ही करता है।
- यकृत, अमोनिया जैसे विषैले पदार्थ को यूरिया में बदल देता है।
- यकृत प्रोटीन के अधिक मात्रा को कार्बोहाइड्रेट में बदल देता है।
- भोजन में वसा की कमी होने पर यकृत कार्बोहाइड्रेट का कुछ भाग वसा में बदल देता है।
- पित्त पीले-हरे रंग का क्षारीय द्रव है जिसका pH मान 7.7 होता है।
- पित्त लवणों में सोडियम ग्लाइकोलेट तथा सोडियम टोरोकोलेट नामक कार्बनिक लवण पाये जाते हैं।
- पित्त में कोई एंजाइम नहीं होता है।
- पित्त वसाओं का इमल्सीकरण करता है।
- यदि यकृत कोशिकायें रुधिर से बिलिरूबिन लेना बंद कर दे टो रुधिर द्वारा बिलिरूबिन पूरे शरीर में फैल जाता है, इसे ही पीलिया कहते हैं।
- सिक्रटिन हार्मोन अग्न्याशय को उत्तेजित कर अग्न्याशयी रस का स्रवण नियंत्रित करता है।
- इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा स्रावित हार्मोन है, जो रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
- इंसुलिन की कमी से ही मधुमेह रोग हो जाता है।
पाचन क्रिया (DIGESTION) भाग (II)
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